कोरोना वायरस पर कविता
लॉकडाउन है देश में |
संकट की इस महाघड़ी में हमें नहीं घबड़ाना है। लाॅकडाउन है देश में तब बाहर ही नहीं जाना है।। |
बाहर यात्रा नहीं है करना ऐसा छाया रोग है। पर अन्तर की यात्रा करलें ऐसा भी संयोग है।। |
भारत की ये परम्परा, एकांत सभी को भाया है।। ऋषि मुनि बहुयोगी ने तो जीवन सफल बनाया है।। |
कोरोना विषाणु से अब विश्व बहुत भयभीत है। देश देश में त्राहि त्राहि पर मुश्किल न जीत है।। |
जीत तो होगी डटे ही रहना एकदूजे के प्रीत में। सुनवायी ईश्वर की होगी हम सभी के हीत में।। |
देह वस्त्र स्थान सभी को निर्मल करते रहना है। भोजन पानी मिले सभी को स्वारथ में न बहना है।। |
बादल है संकट का छाया बिल्कुल इसे न भूलेंगे। कुछ न होगा ऐसा सोंचकर मन ही मन न फूलेंगे।। |
कोविड उनीस पर शोध कह रहा संदूषण महामारी है। छींक खांस और छू देने से बढ़ती यह बीमारी है।। |
जब तक परशासन न कहता अपना नियम न जोडे़ंगे। मुँह को ढकना हाथ को धोना बिल्कुल भी न छोड़ेंगे।। |
तब निश्चित ही विजय पताका कुछ दिन में लहरायेगा। फिर जीवन खुशहाली भरता देख सभी मुसकायेगा।। |
मोदी जी के इस अपील को निश्चित हमें निभाना है। लाॅकडाउन है देश में तब बाहर ही नहीं जाना है।। -सनियात ‘सिन्हण’ |
कोरोना से बचना है तो सामाजिक दूरी बनाना अत्यन्त आवश्यक है। इस सोशल डिस्टैंसिंग से हम इस वैश्विक महामारी को दूर करने में काफी हद तक सफल हो सकते हैं। यह रोग संक्रमण से फैलता है इसलिए स्वस्थ व्यक्ति या सामान्य रोगी कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आता है तो यह रोग उसे भी अपनी चपेट में ले लेता है। यह व्यक्ति से व्यक्ति में बड़ी तेजी से फैलता है। इसलिए यदि इसके साईकिल या चेन को नहीं तोड़ा जाय तो न जाने कितनों को यह वायरस अपनी चपेट में लेकर स्वास्थ्य को बर्बाद कर सकता है। एक दिन में ही हजारों की संख्या में लोग संक्रमित हो रहे है। इसके प्रसार को रोकने के लिए सामाजिक दूरी बहुत हद तक मदद करेगा।
कोरोना वायरस पर कविता
सामाजिक दूरी(सोसल डिस्टैन्सिंग) का पालन करें
सामाजिक दूरी का पालन लाॅकडाउन में करना। कोरोना का कहर नहीं तो बहुत पड़ेगा सहना।। |
अति जरुरी काम रहे जब बाहर तबहि जाना। वापस आकर हाथ मुँह धो या पूरा ही नहाना।। |
सारी दुनिया दहल उठी कम से कम यह समझोना। इसीलिए कह रहे मोदी लक्ष्मण लकीर तोड़ो ना।। |
-सनियात ‘सिन्हण’
कोरोना वायरस पर कविता
कोरोना को हराने में लगे सभी सेवाव्रतियों के प्रति
आभार के स्वर
लाॅकडाउन में घर में हम तो सही सलामत रहते हैं। पर सेवा में डटे हुए क्या उसका ध्यान भी धरते हैं।। |
संदूषण का है खतरा फिर भी जो बाहर रहते हैं। पीड़ितों की सेवा में दिन-रात चिकित्सा करते हैं।। |
सेवाकर्मी वीर सीपाही सदा डटे जो रहते हैं। मीडियाकर्मी देश की हालत हरपल साझा करते हैं।। |
हर वो सेवी राष्ट्रहीत में जो निज धर्म समझते हैं। बहु कष्ट बहु बाधाओं को देश लिए जो सहते हैं।। |
कोरोना का चेन तोड़ने जो भी तत्पर रहते हैं। उन वीरों का हिरदय से आभार प्रकट हम करते हैं। |
-सनियात ‘सिन्हण’
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